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उपाधि प्राण की

मैं लिख देना चाहती थी,

अपनी सभी कविताएं,

किसी एक ही के इर्द-गिर्द।


शब्दों से रचा करती,

उस अद्वितीय की...

अनेकानेक सजीव प्रतिमाएं।


किन्तु ईश्वर ने चुना मुझे,

द्रवित हृदयों की वेदनाएं लिखने को,


अतः

मुझे जीवन में

नहीं प्राप्त हुआ,

कोई भी ऐसा,

जिसे दे सकूँ मैं... 

अपनी कविताओं में,

प्राण की उपाधि!


- मनीषा महतो 

हिंदी विभाग 


मनीषा महतो रामजस महाविद्यालय की द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं । मनीषा ने अपनी प्राथमिक, माध्यमिक, तथा उच्च माध्यमिक शिक्षा दिल्ली में ग्रहण की, तथा अपनी रुचि को आगे रखकर, हिंदी विषय को माध्यम बनाते हुए, दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया । चूंकि उनका विषय हिंदी साहित्य है अतः स्वाभाविक तौर से वे हिंदी में कविताएँ लिखती है और साथ ही उनकी कुछ चुनिंदा कविताएँ विभिन्न महाविद्यालायों में पुरस्कृत भी हो चुकी है।


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