दीप-सा संकल्प
अपनी धरा को त्याग कर, जो नव पथ का राही है, हृदय में लिए गहन स्वप्न, जो कर्म का सिपाही है। हर उस व्यक्ति के निमित्त, यह श्रद्धा-सुमन अर्पित, जिसने दीप-सा संकल्प ले, महान यात्रा आरंभ की है। दूर ग्राम की स्मृतियाँ, मन के कोने में बसी हैं, पर आशा की शृंखला, नयनों में नई कसी है। नगर-महानगर की इस भीड़ में, स्वयं को गढ़ने आया है, अपनी क्षमता से वह, एक नया इतिहास रचने आया है। वह जानता है कि एक-एक पग, कितना मूल्यवान है, हर संघर्ष की गाथा में, उसका आत्मबल महान है। जब पहला दीप जलाया था, था केवल एक...